
उत्तरवन में हंगामा वरपा है कि राज्य के किसी मंत्री ने किसी नागरिक को थप्पड़ जड़ दिया। भाई ! नाश हो इस लोकतंत्र का कि अब एक मंत्री किसी को थप्पड़ भी नहीं मार सकता। अगर उसको यह अधिकार भी नहीं कि वह किसी को कोई थप्पड़ मार सके, तो काहे के मंत्री। अब यह मीडिया वाले भी न, नमक-मिर्च लेकर घूमते रहते हैं, इतनी छोटी सी घटना को इतना टेस्टी बना दिया कि दर्शक भी चटकारे लेकर खा रहे हैं।
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भाई! दबंग फ़िल्म देखी थी सबने? चुलबुल पाण्डेय से रज्जो ने क्या कहा था? “थप्पड़ से डर नहीं लगता साब प्यार से लगता है।” तब तो सब ने खूब सीटीयां और ताली बजायी थी।
अब मंत्री जी ने थप्पड़ क्या मार दिया? सबको डर लगने लगने लगा है। अरे, जिसने थप्पड़ खाया उस भाई ने फ़िल्म नहीं देखी क्या? अरे, मंत्री जी के थप्पड़ से डर रहे हो यार। अरे, मंत्री जी आपसे प्यार थोड़े कर रहे कि डर लगे? बेकार में हंगामा करते हो यार। भाई, मंत्री जी के थप्पड़ से नहीं प्यार से डरो।
इसीलिए आपने देखा होगा कोई भी मंत्री कभी जनता से प्रेम नहीं करता। क्योंकि उसको मालूम है थप्पड़ भले ही मार लो, चाहे हाथ के विलोम से भी मार लो, जनता को डर नहीं लगेगा। जनता को प्यार नहीं करना चाहिए क्योंकि जनता को प्यार से डर लगता है।
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और तो और इन हंगामा करने वालों को समझाओ यार, कि मंत्री जी कोई शिक्षक थोड़े ही हैं कि उन पर RTE कानून लागू हो और वह किसी को थप्पड़ नहीं मार सकते, डांट नहीं सकते, ऊँची आवाज में बात नहीं कर सकते? मन्त्री लोग कानून बनाते हैं। उनका काम कानून बनाना है, उसका पालन करना नहीं? कानून का पालन करना जनता का काम है।
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अब घर में कोई बच्चा कुछ गलती करता है, तो आप उसको थप्पड़ रसीद करते हो या नहीं? कि सुधर जा दुबारा ऐसी गलती मत करना। उत्तरवन कोई अमेरिका थोड़े ही है कि बच्चे को पीट नहीं सकते? उत्तरवन में शिक्षक को छोड़कर सबको बच्चों को पीटना तो छोड़ो कूटने का अधिकार प्राप्त है।
अब मन्त्री लोग तो जनता के अविभावक ही हुए, अब अविभावक का यह फर्ज तो बनता है कि वह आपको आपकी गलती का एहसास कराएं ? मन्त्री जी को बेकार में टारगेट किया जा रहा है। वह तो थप्पड़ मार कर जनता को समझा रहे थे। ज़ब तुमको पता था कि मैं ऐसा हूँ, तो तुमने मुझे वोट क्यों दिया? दुबारा ऐसी गलती मत करना।