हरियाणा की नीति आ रेली है…।

-“ये सर्किट, फोन क्यों नहीं उठा रेला है?”–“कौन है बे।”– “तेरा बाप।”— “अरे, भाई.. भाई।… बोलो भाई, कोई इमरजेंसी है क्या?”– “ये सर्किट, तू जल्दी मुझे परेड ग्राउंड में मिल।”–“भाई, तुम फ़ौज में भर्ती हो गए, तुमने बताया नहीं।”-“नहीं रे, बापू के पार्क, बोले तो गाँधी पार्क के बाजू में जो परेड मैदान है न, उसमें मिल।”— “अभी पहुँचता हूँ भाई।”…………. — “क्यों, क्या हुआ भाई? कुछ टेंशन-वेंशन है? टेंशन नहीं लेने का, मैं हूँ न भाई, बोलो किसको ऊपर भेजने का है।”– “नहीं रे, ऐसा कुछ नहीं। ये सर्किट, हरियाणा से ‘नीति’ आ रेली है।”— “क्या भाई, हरियाणा से ‘नीति’ आ रेली है…? फिर तो बड़ा मजा आएगा भाई। पर भाई….जाह्नवी भाभी को बुरा लगेगा।”– “क्यों रे? जाह्नवी को नीति से क्या लेना देना?”— “लेना देना है भाई, अगर जाह्नवी भाभी ने आपको नीति के साथ देख लिया तो?”– “ये सर्किट, एक लापा दूँगा न, फिर पता चलेगा। अरे, […]

बादशाह अकबर द्वितीय और पेपर लीक – भाग-3 (अंतिम किस्त)

“न्यू रत्न जी, आप उन तथ्यों को दरबार के सामने रखें, जिससे यह साबित हो सके कि पेपर लीक होने की बात मिथ्या है।” – बादशाह ने कहा। “जी, अवश्य जहाँपनाह। अगर आपकी इजाजत हो तो मैं कुछ प्रयोगों के आधार पर अपनी बात साबित करने की इजाजत चाहुँगा।” – न्यू रत्न ने कहा। दरबार में बैठे सभी लोगों के साथ-साथ दरबार में उपस्थित सौरत्नों के चेहरों पर कौतुहल साफ देखा जा सकता था। सभी समझने की कोशिश कर रहे थे कि न्यू रत्न क्या करने वाले हैं। “जहाँपनाह, मैं दरबार में कुछ सामग्री पेश करना चाहता हुँ।” – न्यू रत्न ने कहा। “इजाजत है।” बादशाह की समझ में भी कुछ नहीं आ रहा था कि न्यू रत्न क्या करने जा रहे हैं।न्यू रत्न ने ताली बजायी। दरबानों द्वारा दरबार के बीचों-बीच एक मेज रख दी गयी। फिर उसके ऊपर चद्दर से ढकी, एक चौकोर सी दिखने वाली चीज रख […]

बादशाह अकबर द्वितीय और पेपर लीक – भाग-2

दरबार में पेपर लीक की चर्चा के फरमान से सौरत्नों में खलबली मच गयी। सबने अपने-अपने रिश्तेदारों को राज्य के विभिन्न महकमों में सेट कर रखा था। बीरबल को भी उन्होंने ऑफर दिया था कि आपकी बेटे को ‘दरोगा-ए-दरबार’ या ‘दरोगा-ए-मुख्य तोपखाना’ में सेट कर देते हैं। बीरबल ने स्पष्ट मना कर दिया था। बादशाह अकबर द्वितीय का बीरबल द्वितीय पर, विश्वास पुराने अकबर बीरबल जैसा तो नहीं था। पर फिर भी वह परम्परावश उनका मत जरूर जानना चाहते थे।……अन्य रत्न, बीरबल को दरबार में, किसी तरह आने देने से रोकना चाहते थे। एक रत्न ने कहा रोको उसे, नहीं तो हम सबका भांडा फूट जाएगा। कुछ भी करो पर उसको रोको।“बीरबल, कल दरबार में नहीं आ पाएगा। आप लोग चिंता न करें।”- उनमें से एक रत्न ने कहा “वो कैसे?” – कई रत्न एक साथ बोल पड़े। “बताता हुँ, बताता हुँ।” – उसने कहा। “दरअसल बीरबल की तबीयत ख़राब […]

बादशाह अकबर द्वितीय और पेपर लीक.

बादशाह अकबर द्वितीय भी अकबर प्रथम की तरह अपना राज-काज चला रहे थे। वह इतिहास के विद्यार्थी रहे हैं। इसलिए उन्होंने थोड़ा बहुत अकबर को पढ़ा था। उनको मालूम था कि अकबर मुझ से भी कम पढ़ा-लिखा था। और मेरी तरह उसकी भी पढ़ने में रूचि कम ही थी। उसकी सफलता में उसके नवरत्नों का बहुत बड़ा हाथ था। अकबर द्वितीय को लगा ज़ब केवल नौ लोगों अर्थात नवरत्नों की सहायता से, अकबर ने इतिहास में महानता का दर्जा हासिल कर लिया था, तो मैं नौ की जगह सौ लोगों की एक टीम बनाऊंगा और वह ‘सौरत्न’ कहलायेंगे।……सौरत्नों की एक टीम बना दी गयी। यह सौरत्न अकबर द्वितीय की इतनी जय जयकार करते कि अकबर आत्म मुग्धता की ओर बढ़ चले। इस जय जयकार में इतना नशा होता कि नये बादशाह अकबर खुद को बादलों में उड़ते महसूस करते। प्रजा भी आनंदित थी। बादशाह की ख़ुशी में ही प्रजा की […]