मात्राकरण – भाग-1

आजकल फिर एक बार मात्राकरण का एक आदेश सोशल मीडिया में देखने क़ो मिला। इसमें यह कहा जा रहा है कि जो अतिरिक्त शिक्षक हैं उनको हटा कर दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा। पर उसका मानक क्या होना चाहिए? इस पर चर्चा की आवश्यकता है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार 60 बच्चों तक का एक सेक्शन मानकर शिक्षकों का मात्राकरण किया जा रहा है। यह मानक कितना उचित है? आज इस पर चर्चा-परिचर्चा करते हैं।
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शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के प्रावधानों के अनुसार –
1 – प्राइमरी में छात्र शिक्षक अनुपात 40:1 होना चाहिए ।
2 – जूनियर में छात्र शिक्षक अनुपात 35:1 होना चाहिए ।
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हाईस्कूल या इंटरमीडिएट में छात्र शिक्षक अनुपात क्या होगा? इस संबंध में RTE कानून में कोई प्रावधान नहीं है। क्योंकि हाईस्कूल या इंटरमीडिएट इस कानून के दायरे में नहीं आते।
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तो फिर हाईस्कूल या इंटरमीडिएट में छात्र-शिक्षक अनुपात क्या हो? 60 बच्चों पर एक सेक्शन का मानक कितना व्यवहारिक है? आओ इसका पता लगाएं।
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हाईस्कूल या इंटरमीडिएट स्तर पर प्रति विषय एक अध्यापक चाहिए होता है।
आरटीई के मानकों क़ो सन्दर्भ हेतु ग्रहण किया जाय तो हाइस्कूल में 35 बच्चों पर एक सेक्सन होना चाहिए। क्योंकि जूनियर स्तर पर RTE में यही अनुपात अनुशंसित है।
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1937 में महात्मा गाँधी ने भी नई तालीम के संदर्भ में कहा था कि किसी भी कक्षा में छात्रों की संख्या 25 होनी चाहिए। 30 से ज्यादा तो किसी हाल में नहीं होनी चाहिए।
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विश्लेषण –
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1- सैद्धान्तिक रूप से किसी कक्षा में जितने कम से कम छात्र होंगे। उनमें शिक्षक बच्चों पर व्यक्तिगत रूप से अधिक ध्यान दे सकता है।
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2- युनेस्को का मानना भी है कि किसी भी कक्षा में छात्रों की संख्या 40 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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3- अधिकांश प्राइवेट स्कूल्स में भी 40 छात्रों से अधिक एक सेक्शन में प्रवेश नहीं दिए जाते।
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4- सीबीएसई के अनुसार भी एक सेक्शन में 40 छात्रों से अधिक क़ो प्रवेश नहीं देना चाहिए।
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5- नई शिक्षा नीति 2020 में भी 30 छात्रों पर एक कक्षा प्रस्तावित है। जिन स्कूल्स में सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित छात्र हों, वहाँ 25 छात्रों पर एक कक्षा की व्यवस्था का प्रावधान है।
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6- अधिकांश स्कूल व उनके कक्षा कक्ष बिना मास्टर प्लान के बने हैं। बहुत सारे स्कूल्स में कक्षा कक्ष 1010 या 1012 फिट की माप के हैं। इन रूम्स में 60 बच्चों क़ो बिठा पाना बहुत ही मुश्किल है।
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7- सीबीएसई के अनुसार एक कक्षा कक्ष की माप लगभग 2026 फिट होनी चाहिए। और एक छात्र के बैठने के लिए लगभग 1 sq मीटर की जगह होनी चाहिए। मास्टर प्लान से बनी स्कूल विल्डिंग्स क़ो छोड़ दिया जाय तो राज्य के बहुत कम सरकारी स्कूल्स इन शर्तों क़ो पूरा करते हैं।
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8- अधिकांश सरकारी हाईस्कूल 06 से 10 व इंटरमीडिएट कॉलेज 06 से 12 तक चलते हैं। इनकी 06 से 08 की कक्षाएं RTE के अंतर्गत आती हैं। इन पर सेक्शन के मामले में RTE के प्रावधानों का अनुपालन जरूरी है। इन कक्षाओं में 35 से अधिक का सेक्शन मानना RTE के प्रावधानों का उलंघन्न माना जाएगा।
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9- सरकारी स्कूल्स में सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर छात्र ही पढ़ते हैं। नई शिक्षा नीति क़ो आधार माने तो 25 छात्रों पर एक सेक्शन की व्यवस्था होनी चाहिए।
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10- अतः निष्कर्ष रूप में मात्राकरण करते समय उक्त बिंदुओं क़ो ध्यान में रखा जाना चाहिए। 60 बच्चों पर एक सेक्शन सैद्धांतिक व व्यवहारिक रूप से उचित प्रतीत नहीं हो रहा है।
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11- सनद रहे इसी पैमाने (60 पर एक सेक्शन) से, पूर्व में 2600 पद समाप्त कर दिए गए थे। संघ के पदाधिकारियों से निवेदन है कि वह इस मुद्दे पर उपयुक्त पैरवी करें

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