
दरबार में पेपर लीक की चर्चा के फरमान से सौरत्नों में खलबली मच गयी। सबने अपने-अपने रिश्तेदारों को राज्य के विभिन्न महकमों में सेट कर रखा था। बीरबल को भी उन्होंने ऑफर दिया था कि आपकी बेटे को ‘दरोगा-ए-दरबार’ या ‘दरोगा-ए-मुख्य तोपखाना’ में सेट कर देते हैं। बीरबल ने स्पष्ट मना कर दिया था। बादशाह अकबर द्वितीय का बीरबल द्वितीय पर, विश्वास पुराने अकबर बीरबल जैसा तो नहीं था। पर फिर भी वह परम्परावश उनका मत जरूर जानना चाहते थे।
……
अन्य रत्न, बीरबल को दरबार में, किसी तरह आने देने से रोकना चाहते थे। एक रत्न ने कहा रोको उसे, नहीं तो हम सबका भांडा फूट जाएगा। कुछ भी करो पर उसको रोको।
“बीरबल, कल दरबार में नहीं आ पाएगा। आप लोग चिंता न करें।”- उनमें से एक रत्न ने कहा
“वो कैसे?” – कई रत्न एक साथ बोल पड़े।
“बताता हुँ, बताता हुँ।” – उसने कहा।
“दरअसल बीरबल की तबीयत ख़राब है, उसको जुकाम बुखार है। जिस अस्पताल में वह इलाज के लिए गया है, उसमें दीवान-ए-जाँच मेरा भतीजा है, उसको भी तो मैंने ही पेपर हल कराया था। वह कब काम आएगा। मैं उसको कह दूँगा। वह बीरबल की रिपोर्ट को कोविड पॉजिटिव बना देगा। फिर बीरबल को कुछ दिनों क्वारेंटीन रहना पड़ेगा। जिससे कल वह दरबार में उपस्थित नहीं हो पाएगा।”
“वाह!” – सभी एक साथ चिल्लाये।
“बाकी सब मैं संभाल दूँगा।” – एक न्यू रत्न ने कहा।
……..
अगले दिन दरबार लग गया। बीरबल की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आ गयी थी। इसलिए उसका दरबार में उपस्थित होना संभव नहीं था। बादशाह ने चर्चा को टालना उचित नहीं समझा। और पेपर लीक पर चर्चा को प्रारम्भ करने की इजाजत दे दी।
जो युवा पेपर लीक की जाँच की मांग कर रहे थे। उनके कुछ प्रतिनिधियों को भी दरबार में बुला दिया गया था।
चर्चा शुरू हो गयी। सबसे पहले जाँच की माँग कर रहे युवाओं को अपनी बात कहने का अवसर दिया गया।
“महाराज, आपके राज्य में दीवान-ए- पटवारी, दीवान-ए- शिक्षक, दीवान-ए- दरोगा, दीवान-ए- विधान सभा और राज्य द्वारा की गयी विभिन्न भर्तियों में धांधली हुयी है। इनके पेपर लीक हुए हैं।”- एक युवा ने अपनी बात रखी।
“जहाँपनाह, इनका यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है। यह किसी भी परीक्षा को पास कर नहीं पाए, इसलिए अपना फ्रस्टेशन, झूठ बोल कर निकाल रहे हैं। यह राज्य को तथा आपको बदनाम करना चाहते हैं। महाराज, इन पर राज्यद्रोह की धारा लगायी जाय।” – न्यू रत्न ने अपनी बात रखी।
“महाराज, हम सच कह रहे हैं। पेपर लीक हुए हैं। आप इसकी जाँच DBI (दरबार ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन) से कराने की संस्तुति दे दीजिए।” – एक और युवा ने अपनी बात रखी।
“महाराज, जाँच की जरूरत तो तब होती ज़ब कोई गड़बड़ी हुयी होती। ज़ब पेपर लीक ही नहीं हुए, तो फिर यह सब करने की जरूरत क्या है। मैं अभी इसी दरबार में साबित कर दूँगा कि पेपर लीक नहीं हुए हैं, ऐसा संभव ही नहीं है।”- न्यू रत्न ने पक्ष रखा।
………………
जारी….
………………..