प्रधानाचार्य सीधी भर्ती/पदोन्नति – भाग -2

प्रश्न – 1- क्या प्रधानाचार्य बनने के लिए जो सीमित विभागीय सीधी भर्ती आयोजित की जा रही है वह गलत है?
उत्तर  – नहीं।
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प्रश्न -2- क्या प्रधानाचार्य बनने के लिए पदोन्नति की प्रक्रिया अपनाना गलत है?
उत्तर – नहीं’।
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जब किसी काम को करने के लिए एक से अधिक तरीके हों और सभी तरीके सही (नैतिक) हों। ऐसे में ऐथिक्स का उपयोग किया जाता है। एथिक्स के अनुसार, उस तरीके का चुनाव करना चाहिए जो अधिक नैतिक, पारदर्शी और सार्वजनिक भलाई के लिए हो। (जो साथी सिविल सेवा की ऐथिक्स की तैयारी कर रहे होंगे। वह इसको आसानी से कोरिलेट कर पाएंगे।)
इसके लिए निम्नलिखित बातों पर विचार किया जाना चाहिए –

1- लाभ और हानि का विश्लेषण- उस तरीके को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अधिक लोगों को लाभ पहुंचाए। इसका उद्देश्य समाज की अधिकतम भलाई करना होता है।
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2- निष्पक्षता और समानता- ऐसा तरीका चुना जाना चाहिए जो निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों पर आधारित हो। और अधिकतम को न्याय देने वाला हो।
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3- पारदर्शिता और वस्तुनिष्ठता : वह तरीका अपनाएं जो पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ हो। जिसमें कोई भी भेदभाव या छल-कपट की संभावना न हो। ईमानदारी से काम करना एथिक्स का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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4- दीर्घकालिक प्रभाव: उस रास्ते को प्राथमिकता दें जिसका दीर्घकाल में सकारात्मक प्रभाव हो और जो समाज के स्थायी विकास में योगदान दे।
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विश्लेषण –
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1- सीमित विभागीय सीधी भर्ती की तुलना में पदोन्नति होने पर अधिकतम शिक्षक लाभान्वित होंगे। (इसकी गणना मैंने पिछली पोस्ट में की थी।)
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2- सीमित विभागीय सीधी भर्ती की तुलना में पदोन्नति अधिक निष्पक्ष और समानता लिए है और अधिक शिक्षकों को न्याय देने वाली है। सीधी भर्ती केवल 10 साल कार्य करने और एक खास ऐज ब्रेकेट में आने वाले लगभग 3000 प्रवक्ताओं तक सीमित है। पदोन्नति सभी एलटी / प्रवक्ता (बिना किसी ऐज ब्रेकेट के ) को न्याय देने वाला रास्ता है।
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3- पदोन्नति निर्विवाद रूप से सीमित विभागीय सीधी भर्ती की तुलना में वस्तुनिष्ठ और भेदभाव रहित तरीका है। वस्तुनिष्ठ होने के कारण ही पदोन्नति में कभी कोई विवाद नहीं रहा। सीधी भर्ती में वस्तुनिष्ठता की कमी ही है जो 90% से अधिक शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं।
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4- पदोन्नति के माध्यम से अधिक शिक्षकों को उन्नति के अवसर मिलेंगे, जिससे उनमें संतुष्टि का भाव आएगा और उनका मनोबल बढ़ेगा। लंबे समय से सेवा कर रहे शिक्षकों को पदोन्नति द्वारा पुरस्कृत करना उनकी निष्ठा और मेहनत का सम्मान होगा, जिससे वे शिक्षण व शिक्षा व्यवस्था के प्रति और अधिक प्रतिबद्ध होंगे।
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निष्कर्ष –
1- प्रधानाचार्य के लिए सीमित विभागीय सीधी भर्ती में भी 10 साल से कार्यरत प्रवक्ता चाहिए अर्थात प्रधानाचार्य के लिए अनुभव पहली और महत्वपूर्ण शर्त है।
2- जब अनुभव महत्वपूर्ण और प्राथमिक है। तो पदोन्नति से सीमित विभागीय भर्ती की तुलना में ज्यादा अनुभवी प्रधानाचार्य प्राप्त होंगे।
3- पदोन्नति से अधिक शिक्षकों को लाभ होगा और इससे शिक्षकों व शिक्षक संगठन के भीतर संतोष और स्थिरता पैदा होगी। वर्षों से एक पद पर कार्य करते हुए और बिना किसी पदोन्नति व प्रोत्साहन के, उसी पद से सेवानिवृत हो रहे शिक्षकों में ताजगी और आत्मसम्मान पैदा होगा।
4- सीमित विभागीय भर्ती की तुलना में पदोन्नति को प्राथमिकता देना एक व्यावहारिक और नैतिक निर्णय होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षकों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान होता है। और यह शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक कार्य संस्कृति बनाने में मदद करेगा। धन्यवाद।

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