
आज प्रधानाचार्य सीमित सीधी भर्ती को एक और कोण से देखने की कोशिश करते हैं। वर्ष 2022 की नियमावली से पहले प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति हेतु क्या योग्यता थी?
वर्ष 2022 से पूर्व प्रधानाचार्य की नियुक्ति हेतु ‘उत्तराँचल शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग ) सेवा नियमावली, 2006 लागू थी। इस नियमावली में प्रधानाचार्य का पद, प्रधानाध्यापक और उप-प्रधानाचार्य पद पर जिन्होंने पांच वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली हो, की चयन समिति के माध्यम से पदोन्नति द्वारा भरे जाने का प्रावधान है।
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उक्त नियमावली के अनुसार दो बातें स्पष्ट हैं कि-
1- प्रधानाचार्य पद हेतु योग्यता प्रधानाध्यापक और उप-प्रधानाचार्य है। प्रवक्ता नहीं है।
2- पद लोक सेवा आयोग का नहीं है।
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विश्लेषण – प्रधानाचार्य पद हेतु योग्यता प्रधानाध्यापक और उप-प्रधानाचार्य इसलिए रखी गयी है क्योंकि यह पद प्रशासनिक प्रकृति के हैं। कुछ वर्ष छोटी इकाई में प्रशासनिक अनुभव प्राप्त करने के बाद वह प्रधानाचार्य के पद पर बेहतर कार्य कर सकेंगे।
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पदोन्नति का प्रावधान भी ‘चयन समिति’ के माध्यम से पदोन्नति द्वारा है, न कि ‘आयोग’ से पदोन्नति द्वारा। अर्थात प्रधानाचार्य का पद आयोग का पद नहीं है।
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निष्कर्ष – नई नियमावली में प्रधानाचार्य हेतु योग्यता प्रवक्ता 10 साल के अनुभव के साथ रखी गयी है, जो उचित प्रतीत नहीं होती है। क्योंकि प्रवक्ता को केवल शिक्षण कार्य का अनुभव होता है, न कि प्रधानाध्यापक की तरह प्रशासनिक अनुभव।
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दूसरा तथ्य यह है कि पूर्व नियमावली में प्रधानाचार्य का पद लोक सेवा आयोग का नहीं है। वर्तमान नियमावली में उसको लोक सेवा आयोग को देना भी सही सा नहीं लग रहा है।
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उत्तराखंड में कोई भी पूर्व नियमावली ऐसी नहीं है जिसमें प्रधानाचार्य के लिए योग्यता, प्रवक्ता पद रहा हो और प्रधानाचार्य का पद लोकसेवा आयोग का रहा हो।
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शिक्षकों का सवाल है कि प्रधानाचार्य की तरह ही, प्राचार्य जिला एवं प्रशिक्षण संस्थान, संयुक्त शिक्षा निदेशक, अपर शिक्षा निदेशक, निदेशक विद्यालयी शिक्षा आदि सभी पद ‘चयन समिति के माध्यम से पदोन्नति के हैं। क्या इनको भी लोक सेवा आयोग से भरा जा सकता है?