चुनाव होने से संघ मजबूत होगा न कि कमजोर…

आज कल संघ के संविधान का कुछ ज्यादा ही अध्ययन किया जा रहा है। मेरी राय में यह संघ के लिए ख़ुशी की बात है। लोगों को पता तो चला कि संघ का कोई संविधान भी होता है।

पढ़ना अच्छी बात है लेकिन विगत दो तीन वर्षों से केवल एक ही धारा का अध्ययन करना, उचित प्रतीत नहीं होता है।

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अभी सोशल मीडिया में एक पत्र वायरल हो रहा है, जिसमें पूर्व प्रांतीय महामंत्री जी द्वारा गढ़वाल मण्डल अध्यक्ष को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें उन्होंने “सभी विद्यालयी शाखाओं के संघ के संविधान के अनुसार निर्धारित महामंत्री के नाम घोषणा पत्र उपलब्ध होने पर ही डेलिगेट (प्रतिनिधि ) सूची वैध मानी जाने की बात की है।

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आइए इसका पता लगाते हैं कि पूर्व महामंत्री जी की बात किस हद तक जायज है।

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संघ के संविधान की धारा 12 – प्रतिनिधित्व व मतदान से संबंधित है। इस धारा 12 (क ) के अनुसार – “अधिवेशन में भाग लेने वाले सदस्य जिन्होंने निर्धारित सदस्यता एवं प्रतिनिधि शुल्क जमा कर दिया हो प्रतिनिधि माने जायेंगे। मतदान का अधिकार विद्यालय शाखा के वैध तथा नियमित सदस्यों की संख्या के अनुसार इस प्रकार होगा –

1- 01 से 10 सदस्यों तक 01 मत।

2- 11 से 20 सदस्यों तक 02 मत।

3- 21 से 30 सदस्यों तक 03 मत।

मतदान का अधिकार उसी सदस्य को होगा जो शाखा अध्यक्ष व शाखा मंत्री द्वारा प्रमाणित निर्धारित प्रमाण पत्र प्रतिनिधि शुल्क जमा करते समय प्रस्तुत करेगा।

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निष्कर्ष – इस धारा में कहीं नहीं लिखा गया है कि मतदान का अधिकार उसी को होगा जो प्रांतीय महामंत्री के नाम घोषणा पत्र को उपलब्ध कराएगा। “इस धारा के अनुसार जो सदस्य शाखा मंत्री और शाखा अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित, निर्धारित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेगा, उसको मतदान का अधिकार होगा।”

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संघ के संविधान की टिप्पणी – 3 सदस्यता की प्रक्रिया से है। इसके अनुसार – सदस्यों का पंजीकरण विद्यालय शाखा के माध्यम से होगा। प्रत्येक सदस्य निर्दिष्ट घोषणा पत्र ( दो प्रतियों में ) भरकर सदस्ता शुल्क सहित शाखा मंत्री को देगा। शाखा मंत्री सदस्य का नाम पंजिका में अंकित करके, घोषणा पत्र की एक प्रति अपने पास सुरक्षित रखकर दूसरी प्रति महामंत्री को भेजेंगे।

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निष्कर्ष – संघ के सदस्यों का पंजीकरण शाखा स्तर होता है न कि प्रान्त स्तर पर। प्रान्त स्तर पर घोषणा पत्र की द्वितीय प्रति केवल सूचना हेतु प्रेषित की जाती है। यदि किसी सदस्य का नाम विद्यालय शाखा की सदस्य पंजिका में अंकित है। तो वह संघ के संविधान के अनुसार राजकीय शिक्षक संघ का वैध सदस्य है। संघ के संविधान के अनुसार, शाखा मंत्री उसी सदस्य का नाम सदस्य पंजिका में अंकित करेगा, जिसने सभी स्तरों का निर्धारित शुल्क जमा कर दिया हो और निर्धारित घोषणा पत्र भी साथ में जमा कर दिया हो।

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एक उदाहरण से इस बात को समझने की कोशिश करते हैं – माना A और B राजकीय इंटर कॉलेज मुंडनेश्वर के अध्यापक हैं। A का नाम मुंडनेश्वर की सदस्य पंजिका और प्रान्त स्तर पर धारित पंजिका में भी अंकित है। B का नाम प्रान्त स्तर पर धारित पंजिका में तो है, परन्तु मुंडनेश्वर की सदस्य पंजिका में नहीं है। कानूनी पहलू से देखे जाने पर B राजकीय संघ का सदस्य नहीं माने जायेंगे। क्योंकि संघ के संविधान के अनुसार संघ का वैध सदस्य वही होगा जिसका पंजीकरण शाखा स्तर पर होगा।

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इसलिए कौन वैध सदस्य है कौन नहीं या कौन वैध डेलिगेट है कौन नहीं, इसको प्रमाणित करने का अधिकार केवल शाखा अध्यक्ष और शाखा मंत्री को है। इसलिए यह कहना कि जिनका घोषणा पत्र नहीं आया उनका डेलिगेशन अवैध माना जाएगा, उचित नहीं है।

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इसलिए मेरा निवेदन है कि सभी संघनिष्ट साथी आपसी मतभेद भुला कर सभी स्तरों के चुनाव सम्पन्न कराने में मदद करें। चुनाव होने से संघ मजबूत होगा, कमजोर नहीं।

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( यह मेरी निजी राय है। किसी का सहमत होना अनिवार्य नहीं है। यह पोस्ट मात्र इस संबंध में चर्चा-परिचर्चा हेतु है। मेरे सुझाव व विश्लेषण गलत भी हो सकते हैं, यह अंतिम सत्य नहीं हैं। पसंद आने पर शेयर या फॉरवर्ड जरूर करें।)

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