उत्तरवन और फ्री एजुकेशन… भाग -1

इस बार कोमल हाथी को जंगल की जनता का आपार समर्थन प्राप्त हुआ है और वह जंगल के राजा का चुनाव जीत गए। विपक्ष का यह आरोप है कि चुनाव में गड़बड़ी हुयी है। हारे हुए प्रत्याशी यह आरोप लगा रहे हैं कि ‘जेवीएम’ में कोई भी बटन दबाओ वोट कोमल को ही पड़ रहा था। सत्ता पक्ष इस बात को विपक्ष की हताशा बता रहा है। इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में एक दूसरे के ऊपर, दोनों पक्षो द्वारा, आरोप प्रत्यारोप जारी हैं।

प्रचंड जीत के बाद राजा कोमल हाथी ने एक-एक कर के सभी विभागों के अधिकारीयों की बैठक बुलायी। आज शिक्षा विभाग के अधिकारीयों की बैठक थी।
राजा ने पूछा – “बताइए कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था के क्या हाल हैं?”

“बहुत अच्छी व्यवस्था है हुजूर”- बीच से एक आवाज आयी।

“मैंने तो सुना है कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या कम होती जा रही है? मैं चाहता हूँ हमारे राज्य में एजुकेशन फ्री हो। शिक्षा से ही इस प्रदेश का भविष्य बनेगा। इसलिए मेरा सम्पूर्ण फोकस शिक्षा पर रहेगा। आप सभी लोगों ने अपने-अपने पदों पर कार्य करते हुए, सिल्वर जुबली तो मना ही ली होगी। इतने सालों में आपने इस राज्य की शिक्षा व्यवस्था की कमियों और अच्छाइयों को जान ही लिया होगा। इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप राज्य की गिरती हुयी शिक्षा व्यवस्था व छात्र संख्या पर अपने विचार रखेंगे।” – राजा कोमल हाथी ने सभी उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा।

सभी लोग एक दूसरे को देखने लगे। वातावरण में एक चुप्पी छा गयी थी। सभी समझने की कोशिश कर रहे थे कि कोमल हाथी केवल भाषण दे रहे हैं या वह वास्तव में ऐसा चाहते हैं? और अगर वह ऐसा सच में चाहते हैं, तो हम बोलें क्या? शिक्षा व्यवस्था व घटती छात्र संख्या के बारे में स्कूलों के प्रिंसिपल जानें या शिक्षक? हमको उससे क्या लेना देना। हमारा कार्य कोई रिसर्च करना थोड़े है। हम तो प्रशासन चलाना जानते हैं। इतने सालों से सरकार की भलाई में लगे हैं।

तभी मिंटू तोते, जिनमें ‘इंटेलिजेंस कोशेंट’ की बजाय अपने ‘पॉलिटिकल कोशेंट’ के बल पर हर राजा के प्रिय पात्र बने रहने का हुनर था, ने इस चुप्पी को तोड़ा और बोलने के लिए खड़े हो गए। उन्होंने नये राजा की नब्ज़ को अपनी एक्स-रे जैसी आँखों से टटोला। जब वह संतुष्ट हो गए तो उन्होंने बोलना शुरू किया –
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जारी….
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