मैं टीवी के सभी चैनल्स, एक तरफ से दूसरी तरफ तक बदल चुका था। किसी भी चैनल में ऐसा कंटेंट नहीं था जिस पर रुका जा सके।फोन को मैं इतना प्रयोग कर चुका हूँ कि अब नजर कमजोर हो गयी है, ज्यादा देर देखने पर ऑंखें दर्द करने लगती हैं। जब भी ऐसा होता है मुझे चिंता होने लगती है कि आजकल के बच्चों की ऑंखें जल्दी कमजोर हो जाएंगी। फिर मुझे मेरी कल्पना में अधिकांश बच्चे, चश्मे पहने दिखने लगते हैं। बच्चे क्या, अधिकांश लोग चश्मे में दिखने लगते हैं। इससे पहले कि मन कुछ और चिंता वाली फ़िल्म की स्क्रिप्ट लिखे, मैंने लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगा।……मैं सोचने लगा की जल्दी नींद आ जाय। पर मन फिर खुरापात में लग गया। उसने एक सवाल और ढूंढ लिया कि आखिर यह नींद आती कहाँ से है ? मैंने मन को बेफालतू सवालों को ढूंढ़ने से […]