राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए नवाचारों का प्रस्ताव किया है। उनमें एक नवाचार है “स्कूल कॉम्प्लेक्स / क्लस्टर”। इस योजना का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है। स्कूल कॉम्प्लेक्स / क्लस्टर क्या है? नई शिक्षा नीति के अनुसार आस पास के 5-6 या अधिक स्कूल्स (जिनकी पहुँच एक दूसरे से आसानी से हो सके) को मिलाकर एक क्लस्टर का निर्माण किया जाएगा और इन स्कूल्स (कलस्टर ) में से एक माध्यमिक विद्यालय होगा. सरल शब्दों में यह समझा जा सकता है कि एक इंटर कॉलेज के आस-पास के जूनीयर स्कूल, प्राइमरी स्कूल, आंगनवाड़ी आदि सामूहिक रूप से एक क्लस्टर कहे जाएंगे। क्लस्टर के माध्यमिक विद्यालय को “स्कूल कॉम्प्लेक्स” के रूप में विकसित किया जाएगा। स्कूल कॉमलेक्स को इस तरह विकसित किया जाएगा कि उसमें सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जैसे लाइब्रेरी, लैब […]
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मंत्री जी, हम क्या वापस लें …?
शिक्षा मंत्री जी पदोन्नति पर बार-बार एक बात कह रहे हैं कि शिक्षक कोर्ट केस वापस लें, हम कल प्रमोशन कर देंगे। शिक्षा मंत्री जी इस बयान से यह संदेश देना चाहते हैं कि सरकार तो पदोन्नति करना चाहती है, पर शिक्षकों ने खुद इस मसले को उलझा रखा है। संभव है कि शिक्षा मंत्री जी को विभाग के किसी अधिकारी या सलाहकार ने यह समझाया हो कि यह प्रकरण तभी हल होगा, जब कोर्ट से शिक्षक अपनी याचिका वापस लेंगे। और इसीलिए वह बार-बार इसी बयान को दोहरा रहे हैं। परन्तु क्या शिक्षकों द्वारा कोर्ट से अपना केस वापस ले लेने पर, इस समस्या का समाधान हो जाएगा? आओ इसका पता लगाएं। याचिका वापस लेने से वरिष्ठता विवाद स्वतः समाप्त नहीं होगा। कोर्ट से केस वापस लेने वाली बात सुनने में जितनी सरल लग रही है, उतनी है नहीं। माना शिक्षक कोर्ट से अपना केस वापस ले लेते हैं। […]
तकनीकी की ओवरडोज.
अभी हाल में आया एक आदेश, जो तकनीकी के प्रयोग से संबंधित है, बहस के केंद्र में है। आदेश के अनुसार अब ‘स्विफ्ट चैट’ जो एक मोबाइल एप्लीकेशन है, उसके द्वारा शिक्षकों की लोकेशन ट्रैक की जाएगी। यह कितना उचित/अनुचित है? आज की पोस्ट में इसकी चर्चा करेंगे। पक्ष-विपक्ष में राय बनाने से पहले कुछ प्रमुख बिन्दु हैं, जिन पर विचार करने की आवश्यकता है-1- निजी फोन का उपयोग – शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों से उनके व्यक्तिगत फोन पर विभागीय ऐप इंस्टॉल करने और लोकेशन ट्रैकिंग जैसे प्रावधानों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है/ जा रही है। यह उचित नहीं है। क्या इसे शिक्षकों की निजी स्वतंत्रता और उनके संसाधनों का अनुचित उपयोग नहीं माना जाना चाहिए ? 2- डेटा और उपकरण का खर्च_ – शिक्षकों को न तो विभागीय फोन प्रदान किए जाते हैं और न ही डेटा शुल्क के लिए कोई आर्थिक सहायता दी जाती है। […]
शिक्षकों की गोपनीय आख्या और गृह कार्य।
आज एक खबर छपी है जिसमें लिखा है कि शिक्षकों की गोपनीय आख्या लिखते समय यह देखा जाएगा कि शिक्षक छात्रों को नियमित गृह कार्य देते हैं या नहीं और उसका नियमित मूल्यांकन करते हैं कि नहीं। अगर यह खबर सही है, तो एक शिक्षक के रूप में मुझे इस खबर ने थोड़ा सोचने पर मजबूर कर दिया। आखिर यह सलाह आयी कहाँ से होगी? हम जब शिक्षक, छात्र व शिक्षा के अन्य हितधारकों के लिए कोई नियम या कानून बनाते हैं उसको समग्रता के साथ और पाठ्यचर्या, शिक्षा नीति, पीडागोजी आदि को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए। सरकार के इस निर्णय से बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ना तय है। क्योंकि हर अध्यापक अपने को अच्छे अंक मिलने के लालच में बच्चों को अधिक से अधिक होम वर्क देने की कोशिश करेगा। जबकि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 व नई शिक्षा नीति सैद्धांतिक रूप से गृह कार्य को कम करने […]
वरिष्ठता विवाद के कारण…
वरिष्ठता सरकारी विभागों में महत्वपूर्ण होती है, इसलिए इसके निर्धारण हेतु नियम बने हैं। वरिष्ठता निर्धारण के बेसिक सिद्धांत लगभग हर विभाग में एक जैसे ही होते हैं। उत्तराखंड राज्य में सभी विभागों के लिए एक कॉमन जेष्ठता नियमावली ‘उत्तरांचल सरकारी सेवक जेष्ठता नियमावली, 2002’ प्रभावी है। अगर अखबार की खबरों और सोशल मीडिया में चर्चा-परिचर्चा को आधार माने, तो वरिष्ठता विवाद की सबसे ज्यादा चर्चा शिक्षा विभाग में दिखायी देती है। और यह विवाद पिछले 12 वर्षों से चला आ रहा है। कोर्ट में मामला है पर बारह वर्ष बाद भी अभी इस पर फैसला नहीं हो पाया है। इसको इस तरह भी देखा जा सकता है कि विभाग से कुछ ऐसी चूक हुयी हैं जिसके कारण मामला अब तक लंबित पड़ा हुआ है। जानकार लोगों का कहना है कि कभी-कभी कुछ ऐसे निर्णय हो जाते हैं जो तत्कालीन नियमावली के प्रावधानों के विपरीत हो जाते हैं। और कालांतर […]