“महाराज, गुस्ताखी माफ हो। मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि प्रतिदिन ऑनलाइन उपस्थिति से शिक्षा की गुणवत्ता में क्या और कैसे सुधार होगा?” – बीरबल ने कहा। “रोज़ाना डेटा अपलोड करने से प्रशासन को तुरंत पता चल सकता है कि किस दिन कितने छात्र और शिक्षक अनुपस्थित हैं। यह त्वरित सुधारात्मक कदम उठाने में हमारी मदद करेगा। – न्यूरत्न ने चर्चा को आगे बढ़ाया। “महाराज! माना किसी स्कूल में यदि 10 शिक्षक और 100 छात्र हैं। आज उनमें से 04 शिक्षक अवकाश पर हैं या अनुपस्थित हैं। और छात्रों में भी 50 छात्र अनुपस्थित हैं। हम क्या त्वरित कदम उठा सकते हैं? हमारे पास शिक्षकों का कोई अतिरिक्त पूल नहीं है, कि हम उनको वहाँ भेज दें, जहाँ शिक्षक अनुपस्थित हैं। और न ही हमारे पास ऐसी कोई व्यवस्था है कि जो अनुपस्थित बच्चों को घर से विद्यालय में ला सके।महाराज, यह रोज-रोज की ऑनलाइन उपस्थिति प्रशासनिक दृष्टिकोण […]
Month: December 2024
“Akbar-Birbal II and Online Attendance” – Part 1
The courtiers of Akbar II had attached some individuals for the improvement of education. Often, anyone who had connections with the courtiers would find themselves attached to some “mansab” (position) in the capital, “Ichhapur Sikri.” Akbar II himself was not highly educated, but he appeared deeply concerned about the education system. He did not pay much attention to other departments, but his focus on the education department was exceptional. Those who were attached to the court were called “Saathi” (companions). He had entrusted the responsibility of the education department to “Nyuratna,” who also held the title of “Daroga-e-Shiksha” (Education Superintendent). One day, he told Nyuratna, “I want to meet the companions tomorrow. We shall also discuss some matters regarding the education system.” The next day, Nyuratna, along with all the companions, arrived at the court ahead of time. Soon after, Emperor Akbar also entered the court. After taking his seat […]
अकबर-बीरबल द्वितीय और ऑनलाइन हाजरी’ -भाग -1
अकबर द्वितीय के दरबारियों ने शिक्षा की बेहतरी के लिए कुछ लोगों को अटैचमेंट पर रखा था। अक्सर जिसकी भी दरबारियों से सेटिंग रहती, वह राजधानी ‘इच्छापुर सीकरी’ में किसी न किसी ‘मनसब’ में अटैच कर लिए जाते। अकबर द्वितीय खुद कम पढ़े लिखे थे। लेकिन शिक्षा व्यवस्था को लेकर वह चिंतित दिखते थे। अन्य विभागों में क्या हो रहा है, इस पर वह ज्यादा ध्यान नहीं देते थे, पर शिक्षा विभाग पर उनका विशेष फोकस रहता था। जिन भी लोगों को दरबार में अटैच किया जाता था, उनको ‘साथी’ कहा जाता था। उन्होंने शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी ‘न्यूरत्न’ को दे रखी थी। वही ‘दरोगा-ए-शिक्षा’ भी थे। एक दिन उन्होंने न्यूरत्न को कहा कि मैं कल साथियों से मिलना चाहता हूँ। कल कुछ शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा भी हो जाएगी। दूसरे दिन न्यूरत्न सभी साथियों को लेकर समय से पहले दरबार में हाजिर हो गये थे। बादशाह अकबर भी कुछ […]